ग्लोबल इन्वेस्टर्स
समिट का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे इस कार्यक्रम के लिए
सीएम की ब्रांडिंग करनेवाले कंपनियों के हाथ-पांव फूलते जा रहे है। हर
दो-तीन दिन पर कनफूंकवों की टीम, सीएम के कान में कुछ फूंक दे रही है और
लीजिये ब्रांडिंग करनेवाली कंपनियां नये-नये होर्डिंग्स लगाकर सीएम को खुश
करने में लग जा रही है, दूसरी ओर मंत्रियों के दल ने इस समिट से धीरे-धीरे
दूरियां बनानी शुरु कर दी है। कुछ तो सीधे कहते है कि यह पैसे और समय की
बर्बादी है। कुछ तो यह भी कहते है कि हम दूसरे की मांग लाल देखकर, अपना
मांग लाल नहीं कर सकते। झारखण्ड, गुजरात या मध्य-प्रदेश नहीं है। यह नवोदित
राज्य है, यहां की जनता सर्वाधिक गरीबी से पीड़ित है, ऐसे में इस प्रकार
के आयोजन से गरीबी बढ़ेगी, पूंजीपति और संपन्न होंगे।
दूसरी ओर विरोधी दलों के नेता तो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के नाम से ही भड़क उठते है। वे कहते है कि इस प्रकार के आयोजन से झारखण्ड को नुकसान छोड़, लाभ किसी जिंदगी में नहीं हो सकता, क्योंकि सर्वाधिक पूंजी निवेश का हाल यहां की जनता भुगत रही है। पूरा प्रदेश विस्थापन का दंश झेल रहा है, पर मुख्यमंत्री रघुवर दास केवल अपनी मन की कर रहे है और अधिकारियों के कुछ समूह ने बे-सिरपैर की बातें कर पूरे प्रदेश को भ्रमित कर दिया है। विरोधी दलों के नेताओं का समूह तो यह भी कहता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास जो नित्य नये-नये होर्डिंग्स और विज्ञापन के माध्यम से जो अपनी ब्रांडिंग कर रहे है, उससे जनता का भला नहीं हो रहा, ये राज्य की जनता के पैसे का अपव्यय है, मुख्यमंत्री को समझ लेना चाहिए।
हम आपको बता दें कि फिलहाल राज्य के बाहर की तीन-तीन कंपनियां सीएम की ब्रांडिंग में लगी है, जबकि राज्य सरकार के क्रियाकलापों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पूर्व से ही राज्य में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग कार्यरत है, पर स्थिति ऐसी है कि ये विभाग फिलहाल चूं-चूं का मुरब्बा हो गया है।
यह विभाग जो सीधे मुख्यमंत्री के सम्पर्क में है, स्वयं मुख्यमंत्री को इस विभाग के अधिकारियों पर विश्वास नहीं है, क्योंकि कनफूकवों की टीम, ऐसा मुख्यमंत्री के कान में फूंक देती है कि मुख्यमंत्री को लगता है कि उनके कनफूंकवें सही है और विभागीय अधिकारी गलत है। यहीं कारण रहा कि यहां एक वन विभाग में कार्यरत अधिकारी को विभाग का कार्यभार सौंपा गया, जिसे विभागीय कार्य की जानकारी ही नहीं। जैसे-तैसे विभाग चल रहा है, जो निकम्मे और आलसी थे, आज स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। आश्चर्य इस बात की है कि जिसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, उस अधिकारी को पुनः रांची मुख्यालय में महिमामंडित करने की तैयारी कनफूंकवों द्वारा शुरु कर दी गयी है। कुछ दिनों में ही वह अधिकारी जिसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जल्द ही सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के मुख्यालय में दिखेगा, उसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है। ...और इधर देखिये ब्रांडिग करनेवाले कंपनियों का हाल, कनफूंकवों ने इनका क्या हाल बना दिया है?
आपको याद होगा कि सर्वप्रथम धौनी द्वारा हाथी को उड़ाते हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने के लिए जनता से सहयोग मांगा जा रहा था, कनफूंकवों ने जैसे ही सीएम के कान में ये बात कही कि हाथी के उड़ाने से मोमेंटम झारखण्ड का मजाक उड़ रहा है। झट से आनन-फानन में हाथी के उड़ानेवाले बैनर-पोस्टर की जगह केवल धौनी का बैनर-पोस्टर जारी हुआ, हाथी को उड़ानेवाला दृश्य गायब किया गया। इसके बाद फिर कनफूंकवों ने कंपनियों के उपर अँगूली उठाई कि इससे तो धौनी का ब्रांडिग हो रहा है, सीएम रघुवर दास तो कहीं है ही नहीं। तब ऐसे हालत में कंपनियों ने धौनी और रघुवर दास, दोनों का फोटो समेत बैनर-होर्डिंग्स लगानी शुरु की। इस बैनर-पोस्टर लगाने के बाद फिर कनफूंकवों ने कहा कि सीएम इस बैनर-पोस्टर से भी खुश नहीं। कुछ नया होना चाहिए, जिसमें धौनी नहीं, सिर्फ और सिर्फ सीएम होने चाहिए, रघुवर दास होने चाहिए। ब्रांडिंग कंपनियों ने फिर से नया बैनर-पोस्टर बनवाया और आज जगह-जगह केवल रघुवर दास ही अब नजर आ रहे है और धौनी धीरे-धीरे गायब होते दिख रहे है। ज्यादा दिन नहीं, कुछ दिन के बाद, लगता है कि धौनी पूरी तरह से बैनर-पोस्टर से गायब हो जायेंगे और इन बैनरों-पोस्टरों पर रघुवर ही रघुवर दिखेंगे। ऐसे में आनेवाला ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का क्या हाल होगा? समझ लीजिये। बेचारी ब्रांडिंग कंपनियों का क्या? वो तो अपने करार के अनुसार, पैसे लेंगे चल देंगे, ब्रांडिंग किसकी हुई?, झारखण्ड की या सीएम की, ये वक्त बतायेगा, पर इतना तो तय है कि जनता को नुकसान के सिवा कुछ भी हाथ नहीं आयेगा, क्योंकि हाथी उड़ता नहीं है, यह विशालकाय प्राणी जितना खाता है, उतना ही नुकसान भी करता है, पर यहां तो राज्य सरकार और उनके अधिकारियों ने इसे उड़ाने की कोशिश कर दी है, ऐसे में झारखण्ड आज सर्वत्र हंसी का पात्र बन गया है।
दूसरी ओर विरोधी दलों के नेता तो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के नाम से ही भड़क उठते है। वे कहते है कि इस प्रकार के आयोजन से झारखण्ड को नुकसान छोड़, लाभ किसी जिंदगी में नहीं हो सकता, क्योंकि सर्वाधिक पूंजी निवेश का हाल यहां की जनता भुगत रही है। पूरा प्रदेश विस्थापन का दंश झेल रहा है, पर मुख्यमंत्री रघुवर दास केवल अपनी मन की कर रहे है और अधिकारियों के कुछ समूह ने बे-सिरपैर की बातें कर पूरे प्रदेश को भ्रमित कर दिया है। विरोधी दलों के नेताओं का समूह तो यह भी कहता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास जो नित्य नये-नये होर्डिंग्स और विज्ञापन के माध्यम से जो अपनी ब्रांडिंग कर रहे है, उससे जनता का भला नहीं हो रहा, ये राज्य की जनता के पैसे का अपव्यय है, मुख्यमंत्री को समझ लेना चाहिए।
हम आपको बता दें कि फिलहाल राज्य के बाहर की तीन-तीन कंपनियां सीएम की ब्रांडिंग में लगी है, जबकि राज्य सरकार के क्रियाकलापों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पूर्व से ही राज्य में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग कार्यरत है, पर स्थिति ऐसी है कि ये विभाग फिलहाल चूं-चूं का मुरब्बा हो गया है।
यह विभाग जो सीधे मुख्यमंत्री के सम्पर्क में है, स्वयं मुख्यमंत्री को इस विभाग के अधिकारियों पर विश्वास नहीं है, क्योंकि कनफूकवों की टीम, ऐसा मुख्यमंत्री के कान में फूंक देती है कि मुख्यमंत्री को लगता है कि उनके कनफूंकवें सही है और विभागीय अधिकारी गलत है। यहीं कारण रहा कि यहां एक वन विभाग में कार्यरत अधिकारी को विभाग का कार्यभार सौंपा गया, जिसे विभागीय कार्य की जानकारी ही नहीं। जैसे-तैसे विभाग चल रहा है, जो निकम्मे और आलसी थे, आज स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। आश्चर्य इस बात की है कि जिसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, उस अधिकारी को पुनः रांची मुख्यालय में महिमामंडित करने की तैयारी कनफूंकवों द्वारा शुरु कर दी गयी है। कुछ दिनों में ही वह अधिकारी जिसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जल्द ही सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के मुख्यालय में दिखेगा, उसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है। ...और इधर देखिये ब्रांडिग करनेवाले कंपनियों का हाल, कनफूंकवों ने इनका क्या हाल बना दिया है?
आपको याद होगा कि सर्वप्रथम धौनी द्वारा हाथी को उड़ाते हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने के लिए जनता से सहयोग मांगा जा रहा था, कनफूंकवों ने जैसे ही सीएम के कान में ये बात कही कि हाथी के उड़ाने से मोमेंटम झारखण्ड का मजाक उड़ रहा है। झट से आनन-फानन में हाथी के उड़ानेवाले बैनर-पोस्टर की जगह केवल धौनी का बैनर-पोस्टर जारी हुआ, हाथी को उड़ानेवाला दृश्य गायब किया गया। इसके बाद फिर कनफूंकवों ने कंपनियों के उपर अँगूली उठाई कि इससे तो धौनी का ब्रांडिग हो रहा है, सीएम रघुवर दास तो कहीं है ही नहीं। तब ऐसे हालत में कंपनियों ने धौनी और रघुवर दास, दोनों का फोटो समेत बैनर-होर्डिंग्स लगानी शुरु की। इस बैनर-पोस्टर लगाने के बाद फिर कनफूंकवों ने कहा कि सीएम इस बैनर-पोस्टर से भी खुश नहीं। कुछ नया होना चाहिए, जिसमें धौनी नहीं, सिर्फ और सिर्फ सीएम होने चाहिए, रघुवर दास होने चाहिए। ब्रांडिंग कंपनियों ने फिर से नया बैनर-पोस्टर बनवाया और आज जगह-जगह केवल रघुवर दास ही अब नजर आ रहे है और धौनी धीरे-धीरे गायब होते दिख रहे है। ज्यादा दिन नहीं, कुछ दिन के बाद, लगता है कि धौनी पूरी तरह से बैनर-पोस्टर से गायब हो जायेंगे और इन बैनरों-पोस्टरों पर रघुवर ही रघुवर दिखेंगे। ऐसे में आनेवाला ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का क्या हाल होगा? समझ लीजिये। बेचारी ब्रांडिंग कंपनियों का क्या? वो तो अपने करार के अनुसार, पैसे लेंगे चल देंगे, ब्रांडिंग किसकी हुई?, झारखण्ड की या सीएम की, ये वक्त बतायेगा, पर इतना तो तय है कि जनता को नुकसान के सिवा कुछ भी हाथ नहीं आयेगा, क्योंकि हाथी उड़ता नहीं है, यह विशालकाय प्राणी जितना खाता है, उतना ही नुकसान भी करता है, पर यहां तो राज्य सरकार और उनके अधिकारियों ने इसे उड़ाने की कोशिश कर दी है, ऐसे में झारखण्ड आज सर्वत्र हंसी का पात्र बन गया है।
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