आखिर क्यों झारखण्ड से जाना चाहते है संजय कुमार...
जिनकी नियुक्ति स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास करते हो, जिनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई हो, वह शख्स दो साल में ही झारखण्ड क्यों छोड़ना चाहेगा?, कुछ न कुछ तो कारण होगा, कारण क्या है? हम आपको बतायेंगे, क्योंकि किसी में हिम्मत ही नहीं कि सच दिखाये या सच बताये...
मेरे विचार से, ईश्वर जो करता है, अच्छा करता है...
मैंने सपने भी नहीं सोचा था कि कभी सरकार के लिए काम करना पड़ेगा... पर एक व्यक्ति विशेष के कथन पर, जिनकी बातों को मैं ठुकरा नहीं सकता था, सरकार के लिए काम किया...
इसी दौरान मेरी पहली मुलाकात 5 जनवरी 2016 को मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार से हुई। इसी बीच कई अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में इनके खिलाफ अनाप-शनाप छपते रहे, पर मेरा मन कभी नहीं माना कि संजय कुमार ऐसा करते होंगे, जैसा कि आरोप उन पत्र-पत्रिकाओं ने लगाया था, क्योंकि मुझे आदमी पहचानना आता है।
संजय कुमार की सबसे बड़ी विशेषताएं है कि वे प्रतिभा, योग्यता, बुद्धिमता, सादगी जीवन व्यतीत करनेवाले लोगों का बड़ा आदर करते है, वे ऐसे लोगों को भूलकर भी अपमानित नहीं करते, जबकि दूसरे लोग आईएएस का रौब इस प्रकार हांकते है, जैसे लगता हो कि दुनिया का सबसे बड़ा बुद्धिमान और योग्य आदमी वहीं है। ऐसे लोगों की संख्या झारखण्ड ही नहीं, पूरे भारत में भरी-पड़ी है। मैंने इसी झारखण्ड में देखा है कि एक आईएएस अधिकारी जो स्वयं को बहुत ईमानदार शो करता है, पर वो क्या है? मैं अच्छी तरह जानता हूं, क्योंकि प्रमाण मेरे पास मौजूद है।
चूंकि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने स्वयं को झारखण्ड से मुक्त करने का फैसला ले लिया है, तो मैं भी उनसे कहूंगा कि वे जल्द झारखण्ड छोड़ दें, क्योंकि जहां सम्मान न मिले, वहां एक पल भी नहीं रहना चाहिए, और इसी बात पर मैं ताल ठोक कर कहता हूं कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने धर्म का परित्याग कर दिया। अब ये लाख कोशिश कर लें, इनके द्वारा न तो झारखण्ड का विकास हो सकता है और न ही उत्थान।
और अब हम कारण की ओर चलते है...
1. सारी जनता जानती है कि यहां मुख्यमंत्री रघुवर दास केवल शो पीस है, जबकि प्रत्य़क्ष रूप से असली शासन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और मुख्यमंत्री के सचिव सुनील बर्णवाल चला रहे है। जिस कारण यहां का कोई आईएएस आफिसर क्या करें और क्या नहीं करे, इसी भंवरजाल में फंसा है, जिससे काम प्रभावित हो रहा है।
2. मुख्यमंत्री रघुवर दास जो भी अच्छा काम हो रहा होता है, उसका सारा श्रेय मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और अपने सचिव सुनील बर्णवाल को देते है, और जितना भी गड़बड़ होता है, उसका सारा श्रेय प्रधान सचिव संजय कुमार को दे देते है। उसका उदाहरण है – मोमेंटम झारखण्ड। ये कितना सफल होगा, ये तो समय बतायेगा पर इसके आयोजन की सफलता का सारा श्रेय मुख्यमंत्री ने यहां के मुख्य सचिव और सुनील बर्णवाल को दे दिया, जबकि मैं अच्छी तरह जानता हूं, मेरे पास प्रमाण है कि मोमेंटम झारखण्ड की सफलता के लिए संजय कुमार ने पिछले कई महीनों से जब मुख्यमंत्री देश-विदेश का चक्कर काट रहे थे, तो ये इसकी बेहतरी और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। हद हो गयी, जिन्होंने मोमेंटम झारखण्ड के प्रचार-प्रसार को बदरंग कर दिया, वे मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित और जो बेहतर कार्य किया वह अपमानित, ये सिर्फ झारखण्ड में ही हो सकता है, अन्यत्र नहीं।
3. जितना जलन, ईर्ष्या, द्रोह, और एक दूसरे को नीचे गिराने की प्रवृत्ति उपर के अधिकारियों में है, उतना तो नीचे भी नहीं भाई, काहे का आईएएस। मैंने देख लिया। मुख्य सचिव, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का निदेशक राजीव लोचन बख्शी को बनायी, ये निदेशक करता क्या है? ये तो अपने प्रधान सचिव की बात ही नहीं मानता, केवल मुख्य सचिव की बात मानता है, ये तो अपने विभाग में भी कम बैठता है, इसका ज्यादा समय प्रोजेक्ट बिल्डिंग में ही गुजरता है, क्यों आप समझते रहिये और इस कारण क्या हो रहा है, नतीजा आपके सामने है। मंत्री अमर कुमार, अमर कुमारी हो जाते है, राज्यपाल का नाम गलत लिख दिया जाता है, रांची को खनिज राजधानी बना दिया जाता है, और आश्चर्य कोई बोलनेवाला नहीं, आश्चर्य विज्ञापन की लालच में गलत विज्ञापन को भी अखबार परोस देता है। है न आश्चर्य... ये सिर्फ झारखण्ड में ही दिखता है।
4. ऐसे भी मुख्यमंत्री रघुवर दास अब ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री के रूप में नहीं रहेंगे, क्योंकि स्थिति उन्हें नहीं मालूम, कनफूंकवे उन्हें जो कह रहे है, वे मान ले रहे है, पर उन्हें पता नहीं कि जनता और कार्यकर्ता दोनों इनके व्यवहारों से क्षुब्ध हो गये, जरा देखिये कल ही की तो बात है, कृषि और श्रम मंत्री ने भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए भाजपा कार्यालय में दरबार लगाया, क्या मुख्यमंत्री और कनफूंकवे बता सकते है कि कितने कार्यकर्ता उनके दरबार में पहुंचे, ज्यादा जानकारी के लिए आज का प्रभात खबर का पृष्ठ संख्या 8 देख लीजिये, पता चल जायेगा, क्या स्थिति है...
अंत में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार जी, आप कहीं भी जाये, आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर जो रघुवर दास को फर्क पड़ेगा, वे तो रघुवर दास भी नहीं जानते। सत्ता के मद में, एक सामान्य व्यक्ति कैसे असामान्य होने की कोशिश करता है, उसका उदाहरण है – मोमेंटम झारखण्ड और आपका यहां से जाना।
पुनः मेरी ओर से यहां से जाने की अग्रिम बधाई, स्वीकार करें, हालांकि अखबार ने आपके जाने की खबर आज छापी, पर मैं तो दो महीने पूर्व ही जान गया था कि आप यहां नहीं रहेंगे... क्योंकि धर्म कभी अधर्म के साथ नहीं रहा... वो तो सत्य है, शाश्वत है।
आपके जाने के बाद झारखण्ड ने क्या खोया, ये झारखण्ड को अवश्य ही पता चलेगा। ईश्वर आपका मार्ग प्रशस्त करें.......
जिनकी नियुक्ति स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास करते हो, जिनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई हो, वह शख्स दो साल में ही झारखण्ड क्यों छोड़ना चाहेगा?, कुछ न कुछ तो कारण होगा, कारण क्या है? हम आपको बतायेंगे, क्योंकि किसी में हिम्मत ही नहीं कि सच दिखाये या सच बताये...
मेरे विचार से, ईश्वर जो करता है, अच्छा करता है...
मैंने सपने भी नहीं सोचा था कि कभी सरकार के लिए काम करना पड़ेगा... पर एक व्यक्ति विशेष के कथन पर, जिनकी बातों को मैं ठुकरा नहीं सकता था, सरकार के लिए काम किया...
इसी दौरान मेरी पहली मुलाकात 5 जनवरी 2016 को मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार से हुई। इसी बीच कई अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में इनके खिलाफ अनाप-शनाप छपते रहे, पर मेरा मन कभी नहीं माना कि संजय कुमार ऐसा करते होंगे, जैसा कि आरोप उन पत्र-पत्रिकाओं ने लगाया था, क्योंकि मुझे आदमी पहचानना आता है।
संजय कुमार की सबसे बड़ी विशेषताएं है कि वे प्रतिभा, योग्यता, बुद्धिमता, सादगी जीवन व्यतीत करनेवाले लोगों का बड़ा आदर करते है, वे ऐसे लोगों को भूलकर भी अपमानित नहीं करते, जबकि दूसरे लोग आईएएस का रौब इस प्रकार हांकते है, जैसे लगता हो कि दुनिया का सबसे बड़ा बुद्धिमान और योग्य आदमी वहीं है। ऐसे लोगों की संख्या झारखण्ड ही नहीं, पूरे भारत में भरी-पड़ी है। मैंने इसी झारखण्ड में देखा है कि एक आईएएस अधिकारी जो स्वयं को बहुत ईमानदार शो करता है, पर वो क्या है? मैं अच्छी तरह जानता हूं, क्योंकि प्रमाण मेरे पास मौजूद है।
चूंकि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने स्वयं को झारखण्ड से मुक्त करने का फैसला ले लिया है, तो मैं भी उनसे कहूंगा कि वे जल्द झारखण्ड छोड़ दें, क्योंकि जहां सम्मान न मिले, वहां एक पल भी नहीं रहना चाहिए, और इसी बात पर मैं ताल ठोक कर कहता हूं कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने धर्म का परित्याग कर दिया। अब ये लाख कोशिश कर लें, इनके द्वारा न तो झारखण्ड का विकास हो सकता है और न ही उत्थान।
और अब हम कारण की ओर चलते है...
1. सारी जनता जानती है कि यहां मुख्यमंत्री रघुवर दास केवल शो पीस है, जबकि प्रत्य़क्ष रूप से असली शासन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और मुख्यमंत्री के सचिव सुनील बर्णवाल चला रहे है। जिस कारण यहां का कोई आईएएस आफिसर क्या करें और क्या नहीं करे, इसी भंवरजाल में फंसा है, जिससे काम प्रभावित हो रहा है।
2. मुख्यमंत्री रघुवर दास जो भी अच्छा काम हो रहा होता है, उसका सारा श्रेय मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और अपने सचिव सुनील बर्णवाल को देते है, और जितना भी गड़बड़ होता है, उसका सारा श्रेय प्रधान सचिव संजय कुमार को दे देते है। उसका उदाहरण है – मोमेंटम झारखण्ड। ये कितना सफल होगा, ये तो समय बतायेगा पर इसके आयोजन की सफलता का सारा श्रेय मुख्यमंत्री ने यहां के मुख्य सचिव और सुनील बर्णवाल को दे दिया, जबकि मैं अच्छी तरह जानता हूं, मेरे पास प्रमाण है कि मोमेंटम झारखण्ड की सफलता के लिए संजय कुमार ने पिछले कई महीनों से जब मुख्यमंत्री देश-विदेश का चक्कर काट रहे थे, तो ये इसकी बेहतरी और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। हद हो गयी, जिन्होंने मोमेंटम झारखण्ड के प्रचार-प्रसार को बदरंग कर दिया, वे मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित और जो बेहतर कार्य किया वह अपमानित, ये सिर्फ झारखण्ड में ही हो सकता है, अन्यत्र नहीं।
3. जितना जलन, ईर्ष्या, द्रोह, और एक दूसरे को नीचे गिराने की प्रवृत्ति उपर के अधिकारियों में है, उतना तो नीचे भी नहीं भाई, काहे का आईएएस। मैंने देख लिया। मुख्य सचिव, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का निदेशक राजीव लोचन बख्शी को बनायी, ये निदेशक करता क्या है? ये तो अपने प्रधान सचिव की बात ही नहीं मानता, केवल मुख्य सचिव की बात मानता है, ये तो अपने विभाग में भी कम बैठता है, इसका ज्यादा समय प्रोजेक्ट बिल्डिंग में ही गुजरता है, क्यों आप समझते रहिये और इस कारण क्या हो रहा है, नतीजा आपके सामने है। मंत्री अमर कुमार, अमर कुमारी हो जाते है, राज्यपाल का नाम गलत लिख दिया जाता है, रांची को खनिज राजधानी बना दिया जाता है, और आश्चर्य कोई बोलनेवाला नहीं, आश्चर्य विज्ञापन की लालच में गलत विज्ञापन को भी अखबार परोस देता है। है न आश्चर्य... ये सिर्फ झारखण्ड में ही दिखता है।
4. ऐसे भी मुख्यमंत्री रघुवर दास अब ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री के रूप में नहीं रहेंगे, क्योंकि स्थिति उन्हें नहीं मालूम, कनफूंकवे उन्हें जो कह रहे है, वे मान ले रहे है, पर उन्हें पता नहीं कि जनता और कार्यकर्ता दोनों इनके व्यवहारों से क्षुब्ध हो गये, जरा देखिये कल ही की तो बात है, कृषि और श्रम मंत्री ने भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए भाजपा कार्यालय में दरबार लगाया, क्या मुख्यमंत्री और कनफूंकवे बता सकते है कि कितने कार्यकर्ता उनके दरबार में पहुंचे, ज्यादा जानकारी के लिए आज का प्रभात खबर का पृष्ठ संख्या 8 देख लीजिये, पता चल जायेगा, क्या स्थिति है...
अंत में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार जी, आप कहीं भी जाये, आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर जो रघुवर दास को फर्क पड़ेगा, वे तो रघुवर दास भी नहीं जानते। सत्ता के मद में, एक सामान्य व्यक्ति कैसे असामान्य होने की कोशिश करता है, उसका उदाहरण है – मोमेंटम झारखण्ड और आपका यहां से जाना।
पुनः मेरी ओर से यहां से जाने की अग्रिम बधाई, स्वीकार करें, हालांकि अखबार ने आपके जाने की खबर आज छापी, पर मैं तो दो महीने पूर्व ही जान गया था कि आप यहां नहीं रहेंगे... क्योंकि धर्म कभी अधर्म के साथ नहीं रहा... वो तो सत्य है, शाश्वत है।
आपके जाने के बाद झारखण्ड ने क्या खोया, ये झारखण्ड को अवश्य ही पता चलेगा। ईश्वर आपका मार्ग प्रशस्त करें.......
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