Monday, February 20, 2017

कनफूंकवों की हालत खराब.......

कनफूंकवों की हालत खराब, गाली गलौज पर उतरे...
मैंने जब से मुख्यमंत्री रघुवर दास को आइना दिखाने की कोशिश क्या कर दी?
बेचारे कनफूंकवे परेशान हो गये...
अब वे अपने टूकड़ें पर पलनेवाले लोगों को मिलाकर एक टीम बनायी है, ये टीम रात में शराब पी लेने के बाद नशे में आकर खूब उटपुटांग बकती है और सोशल साइट का इस्तेमाल मेरे को गाली देने के लिए उपयोग कर रही है। मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि मैं इनसे भय खानेवाला नहीं हूं... क्योंकि मुझे किसी का सलाहकार नहीं बनना और न ही मुझे लोकसभा या राज्यसभा का टिकट पाकर उपकृत होना है, या रांची या किसी अन्य महानगर में महल खड़े करने है, हां जिनको करना है, वे करते रहे...
मुझे गाली देनेवाले, अगर ये सोचते होंगे, कि वे ऐसा कर मुख्यमंत्री रघुवर दास के बहुत प्रिय हो जायेंगे, तो हो जाये, इसकी हमें परवाह भी नहीं और न मैं इस हेतु लिखता हूं कि मुझे इसके बदले कुछ प्राप्त हो जाये... अगर मुझे चाटूकार बनने और जनता के पैसे की लूटने की आदत होती तो मैं भी अपने लिए वो सब कुछ कर लेता, जिसके लिए लोग अपनी जमीर बेचते है...
और मुझे बेरोजगार कहनेवालों, आओ मैं तुझे रोजगार दूंगा, बैठाकर खिलाऊंगा...
और मैं बेतूके प्रश्नों का जवाब भी नहीं देता, जिन प्रश्नों का जवाब बच्चा – बच्चा जानता है, और जिसका जवाब मैं स्वयं ही सोशल साइट पर दे चुका हूं।
और ये भी जान लो, जवाब भी मर्द को दिया जाता है, नामर्दों को नहीं, जो छद्म नाम से लिखा करते है मैं उन्हें ही नामर्द कहता हूं। मैं तो जो भी करता हूं, डंके की चोट पर करता हूं, अपने आइडी पर करता हूं, तुम्हारे जैसा किसी शाहरूख खान के आइडी का इस्तेमाल नहीं करता और न ही मुख्यमंत्री से संबंधित कार्यालय के आइडी का इस्तेमाल करता हूं...
मैं वह भाजपा विधायक भी नहीं, कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के आते ही, अपने पूर्व विधायकी का रौब दिखाकर, जातीयता का रौब दिखाकर, सीएम के टूकड़ों पर पलने लगूं...
आज मैं, जो भी हूं, अपनी प्रतिभा, अपनी ईमानदारी और अपनी काबिलियत पर....
किसी की रहमोकरम पर नहीं... आज तक मैं किसी के पास नौकरी मांगने भी नहीं गया, यहां नौकरी तो खूद मेरे दरवाजे पर आती है....
बेवकूफों, गलत दरवाजा खटखटा दिये, मेरे पास तो अभी बहुत सारे उदाहरण है, जो जनहित में हमें उठाने है, ताकि सत्ता में बैठे प्रमुख शासक को पता चले कि जनता उनके क्रियाकलापों से कितनी परेशान है, जब तक शासक को पता नही चलेगा कि उसके क्रियाकलापों से जनता को कितना नुकसान है, वो जानेगा कैसे?
आखिर जनता की बात, मुख्यमंत्री रघुवर दास को बतायेगा कौन? हम जैसे लोग ही तो बतायेंगे, ताकि जनता की बात मुख्यमंत्री रघुवर दास तक पहुंचे, तुम लोग तो केवल वाह-वाह करोगे, और उसके बदले राजा से उपकृत होगे। अखबारवाले – चैनलवाले अगर ईमानदारी से काम कर रहे होते तो हम जैसे लोगों को ये सब करने की जरूरत ही क्यों पड़ती?
मैं, इस लेखन के माध्यम से उन सारे पत्रकारों को धन्यवाद देता हूं जो विभिन्न समाचारपत्रों और चैनलों में काम करने के बावजूद अपना जमीर नहीं बेचा और सोशल साइट के माध्यम से जनता की आवाज सरकार तक, मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का कार्य किया... उन्हें दिल से आभार।
आशा है, मुख्यमंत्री जगेंगे, कनफूंकवों से सावधान रहेंगे...
और अंत में, एक बार फिर...
कल का ही अखबार देख लो... अब तो अवधेश कुमार पांडेय भी नहीं है, अब तो तुम्हारे ही कहने पर डायरेक्टर भी नियुक्त हो गया, वो क्या नाम है उसका राजीव लोचन बख्शी। कारण बताओ नोटिस प्राप्त करनेवाले एक अधिकारी को सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में बैठा दिया गया। उसके बाद भी राज्य के सभी प्रमुख अखबारों में छपे विज्ञापन इटखोरी महोत्सव में इतनी गड़बड़ियां क्यों?  मंत्री अमर कुमार बाउरी, अमर कुमारी कैसे हो गये, जय प्रकाश सिंह भोक्ता, भोगता कैसे हो गये... गलतियां ठीक नहीं कर रहे और चल दिये हम पर अंगूली उठाने... आज ही का विज्ञापन देखो। भला रांची खनिज राजधानी कब से बन गया, यानी जो मन करे, छाप दो, और कहो मैं ही सहीं हूं.... जब कोई गलती दिखाये तो सुधरने के बजाय उसे ही सुधारने का प्रयास बंद करो... बंद करो ये सब, नहीं तो कहीं के नहीं रहोगे।
कनफूंकवों याद रखो, अब भी वक्त है, मेरे से उलझने से अच्छा है, स्वयं में सुधार लाओ... मैं फिर लिखूंगा, जल्द ही देखना मेरे फेसबुक साइट पर, वह भी जनहित में, तुमको जो करना है, कर लो...

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