ब्रांडिंग किसकी होती है?
ब्रांडिंग उसकी होती है, जिसे लोग नहीं जानते अथवा जिनकी लोकप्रियता नहीं होती... तो ऐसे में जब पूरे राज्य में सीएम रघुवर दास की ब्रांडिंग राज्य की बाहर की कंपनियां झारखण्ड एवं झारखण्ड के बाहर के राज्यों में कर रही है और इसी क्रम में, जगह-जगह सीएम रघुवर दास के कट आउट, बैनर-पोस्टर, होर्डिंग, अखबारों और चैनलों में सीएम के गुणगान संबंधी विज्ञापन प्रकाशित-प्रसारित हो रहे है, तो इससे साफ पता लग जाता है कि सीएम रघुवर दास की लोकप्रियता न तो पूरे राज्य में है और न ही राज्य के बाहर। भारत हो या भारत के राज्य, अगर आप इतिहास के पन्नो को पलटें तो कोई भी कंपनियां किसी की भी ब्रांडिग करने में कभी कामयाब नहीं हुई। कोई भी शासक अपने कार्यों के कारण देश व दुनिया में जाना गया, न कि ब्रांडिग कराकर। स्वयं नरेन्द्र मोदी ने अपनी कार्यकुशलता से गुजरात के लोगों को दिल जीता, लगातार गुजरात के सीएम बने, विपरीत परिस्थितियों में समय को अपने अनुकूल बनाया, तब जाकर वे देश के प्रधानमंत्री है, न कि ब्रांडिग कंपनियों के रहमोकरम पर... पर यहां झारखण्ड में तो मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके सलाहकारों और अधिकारियों ने ब्रांडिंग के नाम पर ऐसा गुल खिलाया है कि ये ब्रांडिंग राज्य की जनता के लिए जी का जंजाल बन गया है। कहीं ऐसा नहीं कि ये ब्रांडिंग ही सीएम रघुवर दास के शासन की अंतिम कील साबित हो जाय...
जरा देखिये ब्रांडिंग के नाम पर रघुवर सरकार क्या कर रही है?
रघुवर सरकार ने अपनी ब्रांडिग (चेहरा चमकाने) के लिए तीन कंपनियों को रांची बुलाया है...
पहली कंपनी है – प्रभातम, दूसरी कंपनी है- इवाइ और तीसरी कंपनी है – एड फैक्टर।
प्रभातम पर सरकार तीन करोड़ रुपये लगभग सलाना, इ-वाई पर 16 करोड़ रुपये लगभग सलाना, जबकि सिर्फ मोमेंटम झारखण्ड के लिए एड फैक्टर को करीब 5 करोड़ रुपये पर राज्य सरकार ने रांची बुलाकर प्रतिष्ठित किया है।
यहीं नहीं इसके अलावे अखबारों-चैनलों और अन्य प्रचार-प्रसार पर खर्च के लिए राज्य सरकार ने 40.55 करोड़ रुपये अलग से स्वीकृत किये है, गर अधिकारियों की माने तो जिस प्रकार मोमेंटम झारखण्ड के लिए राशि खर्च हो रही है, उससे लगता है कि यह राशि भी कम पड़ जायेगी और यह खर्च 100 करोड़ तक भी जा सकता है। मोमेंटम झारखण्ड को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार ने मुक्तकंठ से पैसे लूटाने शुरु कर दिये है। शाही अंदाज में अतिथियों को राजसी ठाठ मुहैया करायी जा रही है। अतिथियों को उनके लाने से लेकर उन्हें गंतव्य तक छोड़ने तक की व्यवस्था राज्य सरकार ने कर दी है। अतिथियों को दिक्कत न हो, इसके लिए रांची में निषेधाज्ञा भी लागू कर दी गयी है, यानी स्थिति ऐसी है कि आज तक ऐसी व्यवस्था किसी ने न देखी और न सुनी। पूरे राज्य को सीएम को फोटो, बैनर, पोस्टर, होर्डिंग से पाट दिया गया है, रांची में तो शायद ही कोई इलाका होगा, जहां सीएम के कटआउट न लगे हो। आखिर ये सब कर के वे किसको क्या दिखाना चाहते है? राज्य की जनता समझ नहीं पा रही।
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जितनी शाही खर्च मोमेंटम झारखण्ड पर वर्तमान रघुवर सरकार कर रही है, वह बिना जनसहयोग के सफल नहीं हो सकता, क्योंकि राज्य की जनता की भागीदारी इसमें न के बराबर है, और यह राज्य की जनता के पैसों को दुरूपयोग है, जिसे रोका जाना चाहिए।
जनता को मालूम होना चाहिए कि, जब से रघुवर सरकार सत्ता में आयी। यहां के मुख्यमंत्री ने स्वयं को प्रतिष्ठित करने, अपनी ब्रांडिग कराने के लिए, सर्वप्रथम प्रयास तेज किये। इसी चक्कर में सलाहकारों की फौज रखी जाने लगी, ये ऐसे सलाहकार है, जो कुछ भी काम नहीं करते, पर राज्य सरकार इन सलाहकारों पर हर महीने लाखों खर्च करती है, जरा पूछिये मुख्यमंत्री रघुवर दास से कि ये सलाहकार करते क्या है? अब तक कौन-कौन से सलाह, इन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को दिये, जो जनोपयोगी थे। जरा दिल्ली में देखिये एक सलाहकार इन्होंने रखा है – शिल्प कुमार, जरा पूछिये ये करते क्या है? रांची में देखिये, एक है - अजय कुमार, दूसरे - योगेश किसलय और तीसरे - रजत सेठी। जब देखो तब एक नया सलाहकार यहां रखा जाने लगा है, ये सलाहकार कितने काबिल है, इनकी काबिलियत आपके सामने है। ऐसा नहीं कि इनमें सारे सलाहकार बेवकूफ या कर्तव्यहीन है। इन्हीं सलाहकारों में एक रजत सेठी भी है, जिनके पास ज्ञान है, जिनसे बेहतर की गुंजाइश है, पर रघुवर दास उन्हें सम्मान दें या उनकी सलाहों को माने तब न, यहां तो कनफूंकवों की बातों पर सरकार चलती है, कनफूंकवों ने कह दिया कि ये सही है तो सही और गलत कह दिया तो गलत... तो ऐसे में समझ लीजिये कि यहां राज्य कौन चला रहा है? अंत में, अभी जितनी ब्रांडिग मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपनी करानी है, करा लें, पर जिस दिन जनता का दिमाग घुमा तो क्या होगा? उन्हें यह समझ लेना चाहिए। वो कहावत याद है न - पंडित जी अपने गये तो गये, जजमान को भी साथ लेकर चल दिये... यानी रघुवर दास स्वयं तो जायेंगे ही, पार्टी को भी ऐसा धराशायी करेंगे कि पुनः भाजपा, झारखण्ड में आने से रही।
ब्रांडिंग उसकी होती है, जिसे लोग नहीं जानते अथवा जिनकी लोकप्रियता नहीं होती... तो ऐसे में जब पूरे राज्य में सीएम रघुवर दास की ब्रांडिंग राज्य की बाहर की कंपनियां झारखण्ड एवं झारखण्ड के बाहर के राज्यों में कर रही है और इसी क्रम में, जगह-जगह सीएम रघुवर दास के कट आउट, बैनर-पोस्टर, होर्डिंग, अखबारों और चैनलों में सीएम के गुणगान संबंधी विज्ञापन प्रकाशित-प्रसारित हो रहे है, तो इससे साफ पता लग जाता है कि सीएम रघुवर दास की लोकप्रियता न तो पूरे राज्य में है और न ही राज्य के बाहर। भारत हो या भारत के राज्य, अगर आप इतिहास के पन्नो को पलटें तो कोई भी कंपनियां किसी की भी ब्रांडिग करने में कभी कामयाब नहीं हुई। कोई भी शासक अपने कार्यों के कारण देश व दुनिया में जाना गया, न कि ब्रांडिग कराकर। स्वयं नरेन्द्र मोदी ने अपनी कार्यकुशलता से गुजरात के लोगों को दिल जीता, लगातार गुजरात के सीएम बने, विपरीत परिस्थितियों में समय को अपने अनुकूल बनाया, तब जाकर वे देश के प्रधानमंत्री है, न कि ब्रांडिग कंपनियों के रहमोकरम पर... पर यहां झारखण्ड में तो मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके सलाहकारों और अधिकारियों ने ब्रांडिंग के नाम पर ऐसा गुल खिलाया है कि ये ब्रांडिंग राज्य की जनता के लिए जी का जंजाल बन गया है। कहीं ऐसा नहीं कि ये ब्रांडिंग ही सीएम रघुवर दास के शासन की अंतिम कील साबित हो जाय...
जरा देखिये ब्रांडिंग के नाम पर रघुवर सरकार क्या कर रही है?
रघुवर सरकार ने अपनी ब्रांडिग (चेहरा चमकाने) के लिए तीन कंपनियों को रांची बुलाया है...
पहली कंपनी है – प्रभातम, दूसरी कंपनी है- इवाइ और तीसरी कंपनी है – एड फैक्टर।
प्रभातम पर सरकार तीन करोड़ रुपये लगभग सलाना, इ-वाई पर 16 करोड़ रुपये लगभग सलाना, जबकि सिर्फ मोमेंटम झारखण्ड के लिए एड फैक्टर को करीब 5 करोड़ रुपये पर राज्य सरकार ने रांची बुलाकर प्रतिष्ठित किया है।
यहीं नहीं इसके अलावे अखबारों-चैनलों और अन्य प्रचार-प्रसार पर खर्च के लिए राज्य सरकार ने 40.55 करोड़ रुपये अलग से स्वीकृत किये है, गर अधिकारियों की माने तो जिस प्रकार मोमेंटम झारखण्ड के लिए राशि खर्च हो रही है, उससे लगता है कि यह राशि भी कम पड़ जायेगी और यह खर्च 100 करोड़ तक भी जा सकता है। मोमेंटम झारखण्ड को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार ने मुक्तकंठ से पैसे लूटाने शुरु कर दिये है। शाही अंदाज में अतिथियों को राजसी ठाठ मुहैया करायी जा रही है। अतिथियों को उनके लाने से लेकर उन्हें गंतव्य तक छोड़ने तक की व्यवस्था राज्य सरकार ने कर दी है। अतिथियों को दिक्कत न हो, इसके लिए रांची में निषेधाज्ञा भी लागू कर दी गयी है, यानी स्थिति ऐसी है कि आज तक ऐसी व्यवस्था किसी ने न देखी और न सुनी। पूरे राज्य को सीएम को फोटो, बैनर, पोस्टर, होर्डिंग से पाट दिया गया है, रांची में तो शायद ही कोई इलाका होगा, जहां सीएम के कटआउट न लगे हो। आखिर ये सब कर के वे किसको क्या दिखाना चाहते है? राज्य की जनता समझ नहीं पा रही।
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जितनी शाही खर्च मोमेंटम झारखण्ड पर वर्तमान रघुवर सरकार कर रही है, वह बिना जनसहयोग के सफल नहीं हो सकता, क्योंकि राज्य की जनता की भागीदारी इसमें न के बराबर है, और यह राज्य की जनता के पैसों को दुरूपयोग है, जिसे रोका जाना चाहिए।
जनता को मालूम होना चाहिए कि, जब से रघुवर सरकार सत्ता में आयी। यहां के मुख्यमंत्री ने स्वयं को प्रतिष्ठित करने, अपनी ब्रांडिग कराने के लिए, सर्वप्रथम प्रयास तेज किये। इसी चक्कर में सलाहकारों की फौज रखी जाने लगी, ये ऐसे सलाहकार है, जो कुछ भी काम नहीं करते, पर राज्य सरकार इन सलाहकारों पर हर महीने लाखों खर्च करती है, जरा पूछिये मुख्यमंत्री रघुवर दास से कि ये सलाहकार करते क्या है? अब तक कौन-कौन से सलाह, इन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को दिये, जो जनोपयोगी थे। जरा दिल्ली में देखिये एक सलाहकार इन्होंने रखा है – शिल्प कुमार, जरा पूछिये ये करते क्या है? रांची में देखिये, एक है - अजय कुमार, दूसरे - योगेश किसलय और तीसरे - रजत सेठी। जब देखो तब एक नया सलाहकार यहां रखा जाने लगा है, ये सलाहकार कितने काबिल है, इनकी काबिलियत आपके सामने है। ऐसा नहीं कि इनमें सारे सलाहकार बेवकूफ या कर्तव्यहीन है। इन्हीं सलाहकारों में एक रजत सेठी भी है, जिनके पास ज्ञान है, जिनसे बेहतर की गुंजाइश है, पर रघुवर दास उन्हें सम्मान दें या उनकी सलाहों को माने तब न, यहां तो कनफूंकवों की बातों पर सरकार चलती है, कनफूंकवों ने कह दिया कि ये सही है तो सही और गलत कह दिया तो गलत... तो ऐसे में समझ लीजिये कि यहां राज्य कौन चला रहा है? अंत में, अभी जितनी ब्रांडिग मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपनी करानी है, करा लें, पर जिस दिन जनता का दिमाग घुमा तो क्या होगा? उन्हें यह समझ लेना चाहिए। वो कहावत याद है न - पंडित जी अपने गये तो गये, जजमान को भी साथ लेकर चल दिये... यानी रघुवर दास स्वयं तो जायेंगे ही, पार्टी को भी ऐसा धराशायी करेंगे कि पुनः भाजपा, झारखण्ड में आने से रही।
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