झारखण्ड में कनफूंकवों का शासन...
कनफूंकवों का एक सूत्री कार्यक्रम, मुख्यमंत्री रघुवर दास का चेहरा चमकाना और उसकी आड़ में अपना आधार मजबूत करना...
और अपनी सारी गलतियों के लिए एक व्यक्ति विशेष को जिम्मेवार ठहरा देना, जो इस राज्य में एक दिन भी ठहरना नहीं चाहता, हमारा इशारा मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार की ओर है। इसी बीच कनफूंकवों ने प्रोजेक्ट बिल्डिंग, मुख्यमंत्री आवास और सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग पर अपना झंडा फहरा दिया है। इन कनफूंकवों की ताकत इतनी बढ़ गयी है कि इसके खिलाफ बोलने का मतलब मुख्यमंत्री रघुवर दास का कोपभाजन बनना, क्योंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास को सिर्फ ठकुरसोहाती वाले लोग पसंद हो गये है, जो भी उनको आइना दिखाता है, वे उस पर ऐसे टूट पड़ते है, जैसे भूखा सिंह किसी जानवर पर टूट पड़ता है...
इसी बीच कनफूंकवों के शासन में प्रत्यक्ष रूप से दखल देने के कारण बहुत सारे ईमानदार आईएएस आफिसर फिलहाल किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में आ गये है, परिस्थितियों को देख वे मुख्यमंत्री रघुवर दास की हर बातों में हां में हां मिला रहे है, क्योंकि वे जानते है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को सिर्फ और सिर्फ कनफूंकवों की बात ही पसंद है।
इधर कनफूंकवों के शासन में आ जाने का प्रभाव देखिये....
1. पलामू के पांकी में दो महिलाओं को जिंदा जला दिया गया...
2. महेश भट्ट जैसे फिल्मकार ने सरकार के कार्यशैली पर अंगूली उठा दी...
3. 23 फरवरी को पलामू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों पर पुलिस ने निर्ममतापूर्वक लाठियां भांजी, जिसमें कई की हालत गंभीर है...
4. इधर पलामू में छात्रों के उपर हुए हमले को लेकर बुलाया गया पलामू प्रमंडल बंद का पूरे पलामू प्रमंडल पर व्यापक असर पड़ा है, कल का पलामू बंद स्वतः स्फूर्त रहा, पर इस बंद का असर कनफूंकवों या यहां के मुख्यमंत्री रघुवर दास पर पड़ेगा, इसकी संभावना कम दिखाई पड़ रही है, क्योंकि वर्तमान में यहां का मुख्यमंत्री घमंड में चूर है।
5. कनफूंकवों के इशारे पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पलामू में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अपने विरोधियों को धमकी दे डाला है कि जो विकास की राह में बाधा डालेंगे वे दंडित किये जायेंगे, यानी उनका इशारा विरोधी दलों के नेता तथा भाजपा विधायकों और मंत्रियों की ओर था, जो सरकार में ही रहकर, मुख्यमंत्री रघुवर दास के जनविरोधी नीतियों का खुला विरोध कर रहे है...
ये तो कुछ उदाहरण है, इधर जब से राज्य के कई प्रमुख अखबारों ने सरकार की आरती उतारने में थोड़ी कोताही बरती है, उन्हें भी कनफूंकवों ने धमकी देने का प्रयास किया है, उनका कहना है कि जो सरकार की आरती नहीं उतारेंगे, उन्हें विज्ञापन देने पर रोक लगायी जाय... ...इधर विज्ञापन रोके जाने की परवाह किये बिना कुछ अखबारों ने अपना पैंतरा बदला है, तथा सही खबरें देने शुरू कर दिये है, जिसमें हिन्दुस्तान फिलहाल प्रथम स्थान पर है...
अखबारों में मोमेंटम झारखण्ड समाप्त होने के बाद जब से सही खबरें प्रमुखता से स्थान लेने लगी है, सरकार की नींद उड़ गयी है। कनफूंकवों ने इसके लिए भी मुख्यमंत्री रघुवर दास से शिकायत कर दी और कहा कि इसके लिए मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार जिम्मेवार है। दूसरी ओर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक की नींद उड़ी हुई है, कैसे समाचार पत्रों को मैनेज करें, उन्हें सूझ ही नहीं रहा, इसलिए वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विद्वान और मुख्यमंत्री के प्रेस एडवाइजर के शरण में जाकर अपनी बुद्धि बढ़ाने के लिए विशेष नुस्खे पर काम करना प्रारम्भ कर दिया है... इधर अखबारों ने जब से सही खबरे प्रकाशित करनी प्रारंभ की है, लोगों में आशा का संचार हुआ है, उन्हें लगता है कि अब जनहित में समाचार देखने को मिलेंगे, बाकी चैनलों का हाल तो वहीं है, वो क्या कहते है, अभी भी वे यहीं भजन गा रहे है – रघुवर शरणम् गच्छामि, कनफूंकवां शरणम् गच्छामि...
कनफूंकवों का एक सूत्री कार्यक्रम, मुख्यमंत्री रघुवर दास का चेहरा चमकाना और उसकी आड़ में अपना आधार मजबूत करना...
और अपनी सारी गलतियों के लिए एक व्यक्ति विशेष को जिम्मेवार ठहरा देना, जो इस राज्य में एक दिन भी ठहरना नहीं चाहता, हमारा इशारा मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार की ओर है। इसी बीच कनफूंकवों ने प्रोजेक्ट बिल्डिंग, मुख्यमंत्री आवास और सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग पर अपना झंडा फहरा दिया है। इन कनफूंकवों की ताकत इतनी बढ़ गयी है कि इसके खिलाफ बोलने का मतलब मुख्यमंत्री रघुवर दास का कोपभाजन बनना, क्योंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास को सिर्फ ठकुरसोहाती वाले लोग पसंद हो गये है, जो भी उनको आइना दिखाता है, वे उस पर ऐसे टूट पड़ते है, जैसे भूखा सिंह किसी जानवर पर टूट पड़ता है...
इसी बीच कनफूंकवों के शासन में प्रत्यक्ष रूप से दखल देने के कारण बहुत सारे ईमानदार आईएएस आफिसर फिलहाल किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में आ गये है, परिस्थितियों को देख वे मुख्यमंत्री रघुवर दास की हर बातों में हां में हां मिला रहे है, क्योंकि वे जानते है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को सिर्फ और सिर्फ कनफूंकवों की बात ही पसंद है।
इधर कनफूंकवों के शासन में आ जाने का प्रभाव देखिये....
1. पलामू के पांकी में दो महिलाओं को जिंदा जला दिया गया...
2. महेश भट्ट जैसे फिल्मकार ने सरकार के कार्यशैली पर अंगूली उठा दी...
3. 23 फरवरी को पलामू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों पर पुलिस ने निर्ममतापूर्वक लाठियां भांजी, जिसमें कई की हालत गंभीर है...
4. इधर पलामू में छात्रों के उपर हुए हमले को लेकर बुलाया गया पलामू प्रमंडल बंद का पूरे पलामू प्रमंडल पर व्यापक असर पड़ा है, कल का पलामू बंद स्वतः स्फूर्त रहा, पर इस बंद का असर कनफूंकवों या यहां के मुख्यमंत्री रघुवर दास पर पड़ेगा, इसकी संभावना कम दिखाई पड़ रही है, क्योंकि वर्तमान में यहां का मुख्यमंत्री घमंड में चूर है।
5. कनफूंकवों के इशारे पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पलामू में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अपने विरोधियों को धमकी दे डाला है कि जो विकास की राह में बाधा डालेंगे वे दंडित किये जायेंगे, यानी उनका इशारा विरोधी दलों के नेता तथा भाजपा विधायकों और मंत्रियों की ओर था, जो सरकार में ही रहकर, मुख्यमंत्री रघुवर दास के जनविरोधी नीतियों का खुला विरोध कर रहे है...
ये तो कुछ उदाहरण है, इधर जब से राज्य के कई प्रमुख अखबारों ने सरकार की आरती उतारने में थोड़ी कोताही बरती है, उन्हें भी कनफूंकवों ने धमकी देने का प्रयास किया है, उनका कहना है कि जो सरकार की आरती नहीं उतारेंगे, उन्हें विज्ञापन देने पर रोक लगायी जाय... ...इधर विज्ञापन रोके जाने की परवाह किये बिना कुछ अखबारों ने अपना पैंतरा बदला है, तथा सही खबरें देने शुरू कर दिये है, जिसमें हिन्दुस्तान फिलहाल प्रथम स्थान पर है...
अखबारों में मोमेंटम झारखण्ड समाप्त होने के बाद जब से सही खबरें प्रमुखता से स्थान लेने लगी है, सरकार की नींद उड़ गयी है। कनफूंकवों ने इसके लिए भी मुख्यमंत्री रघुवर दास से शिकायत कर दी और कहा कि इसके लिए मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार जिम्मेवार है। दूसरी ओर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक की नींद उड़ी हुई है, कैसे समाचार पत्रों को मैनेज करें, उन्हें सूझ ही नहीं रहा, इसलिए वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विद्वान और मुख्यमंत्री के प्रेस एडवाइजर के शरण में जाकर अपनी बुद्धि बढ़ाने के लिए विशेष नुस्खे पर काम करना प्रारम्भ कर दिया है... इधर अखबारों ने जब से सही खबरे प्रकाशित करनी प्रारंभ की है, लोगों में आशा का संचार हुआ है, उन्हें लगता है कि अब जनहित में समाचार देखने को मिलेंगे, बाकी चैनलों का हाल तो वहीं है, वो क्या कहते है, अभी भी वे यहीं भजन गा रहे है – रघुवर शरणम् गच्छामि, कनफूंकवां शरणम् गच्छामि...
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