जिधर देखिये, उधर ही, बेटी
बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करनेवाली रघुवर सरकार में बेटियां असुरक्षित
है। दुष्कर्म को अंजाम देनेवाले दुष्कर्मियों के हौसले बुलंद है, पर
मुख्यमंत्री रघुवर दास हाथ पर हाथ धरे बैठे है। याद करिये रांची के बूटी की
वह वीभत्स घटना, जब दुष्कर्मियों ने एक लड़की के साथ दुष्कर्म करने के बाद
उसकी नृशंस हत्या कर दी थी। जिसको लेकर पूरा रांची आंदोलित था। रांची बंद
भी बुलाया गया था। राज्य सरकार ने जल्द दोषियों को पकड़ने की बात कहीं
थी, दावा तो यह भी किया जा रहा था कि उक्त घटना में सम्मिलित लोगों तक
स्थानीय पुलिस पहुंच चुकी है, जल्द ही वे गिरफ्त में होंगे, पर सच्चाई क्या
है? सब को पता है। अब ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है, यानी राज्य की
पुलिस कितनी काबिल है, वह इस घटना से पता चल जाता है।
अभी इस घटना के कोई ज्यादा दिन भी नहीं हुए कि गढ़वा के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय रंका में कक्षा छह में पढ़नेवाली आदिम जनजाति की एक नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने और गर्भपात के प्रयास में उसकी स्थिति गंभीर होने का समाचार दिनांक 28 जनवरी को स्थानीय अखबार प्रभात खबर में देखने को मिला। 2 फरवरी को इसी अखबार में यह भी पढ़ने को मिला कि चाईबासा के रुंगटा प्लस टू हाई स्कूल की 12 वीं छात्रा के साथ दुष्कर्म किया गया, घटना 29 जनवरी की है। इसी अखबार में बिशुनपुर से समाचार है कि वहां तीन बच्चों की मां के साथ दुष्कर्म किया गया। गर्भ में पल रही बेटियों के मर जाने और मारनेवालों को तो आज तक पुलिस ढूंढ ही नहीं पाई, जबकि गर्भ में पल रही बेटियों के मारे जाने की खबर यहां सामान्य सी है।
कहनेवाले तो ये भी कहते है कि जब मुख्यमंत्री रघुवर दास, खुद द्वारा चलाये जा रहे मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की बेटियों का गुहार नहीं सुनते, उसे अनसुना कर देते है, तो फिर इन सब घटनाओं में मुख्यमंत्री को रुचि कहा। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत दो महिला संवादकर्मियों ने राज्य महिला आयोग से शिकायत की है कि यहां कार्यरत महिला संवादकर्मियों के साथ अमर्यादित व्यवहार होता है, जिसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री को भी भेजी गयी। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री से संबंधित सारे वरीय पदाधिकारियों को है, पर इन महिला संवादकर्मियों को आज तक न्याय ही नहीं मिला। ऐसे में यह कहना कि राज्य में बेटियों का सम्मान सुरक्षित है, गलत होगा। राज्य की बेटियों को स्वयं अपने सम्मान की रक्षा के लिए आगे आना होगा, क्योंकि सरकार कैसे काम कर रही है? और किसके लिए काम कर रही है?, आपके सामने है। हद तो यह भी हो गयी है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को राज्य की तीन करोड तीस लाख की आबादी में एक महिला तक नहीं मिल रही, जिसे राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकें, जबकि लंबी-लंबी बातें और भाषण देने की बात आये तो फिर देखिये रघुवर दास को, ये स्वयं को हनुमान भी बना डालेंगे, पर शायद रघुवर दास को पता नहीं कि हनुमान ने सीता के सम्मान की रक्षा के लिए रावण की नाक में दम कर दिया था, पर त्रेता के हनुमान और कलियुग के इस हनुमान में आकाश और जमीन का अंतर तो दिखेगा ही।
अभी इस घटना के कोई ज्यादा दिन भी नहीं हुए कि गढ़वा के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय रंका में कक्षा छह में पढ़नेवाली आदिम जनजाति की एक नाबालिग छात्रा के गर्भवती होने और गर्भपात के प्रयास में उसकी स्थिति गंभीर होने का समाचार दिनांक 28 जनवरी को स्थानीय अखबार प्रभात खबर में देखने को मिला। 2 फरवरी को इसी अखबार में यह भी पढ़ने को मिला कि चाईबासा के रुंगटा प्लस टू हाई स्कूल की 12 वीं छात्रा के साथ दुष्कर्म किया गया, घटना 29 जनवरी की है। इसी अखबार में बिशुनपुर से समाचार है कि वहां तीन बच्चों की मां के साथ दुष्कर्म किया गया। गर्भ में पल रही बेटियों के मर जाने और मारनेवालों को तो आज तक पुलिस ढूंढ ही नहीं पाई, जबकि गर्भ में पल रही बेटियों के मारे जाने की खबर यहां सामान्य सी है।
कहनेवाले तो ये भी कहते है कि जब मुख्यमंत्री रघुवर दास, खुद द्वारा चलाये जा रहे मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की बेटियों का गुहार नहीं सुनते, उसे अनसुना कर देते है, तो फिर इन सब घटनाओं में मुख्यमंत्री को रुचि कहा। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत दो महिला संवादकर्मियों ने राज्य महिला आयोग से शिकायत की है कि यहां कार्यरत महिला संवादकर्मियों के साथ अमर्यादित व्यवहार होता है, जिसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री को भी भेजी गयी। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री से संबंधित सारे वरीय पदाधिकारियों को है, पर इन महिला संवादकर्मियों को आज तक न्याय ही नहीं मिला। ऐसे में यह कहना कि राज्य में बेटियों का सम्मान सुरक्षित है, गलत होगा। राज्य की बेटियों को स्वयं अपने सम्मान की रक्षा के लिए आगे आना होगा, क्योंकि सरकार कैसे काम कर रही है? और किसके लिए काम कर रही है?, आपके सामने है। हद तो यह भी हो गयी है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को राज्य की तीन करोड तीस लाख की आबादी में एक महिला तक नहीं मिल रही, जिसे राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकें, जबकि लंबी-लंबी बातें और भाषण देने की बात आये तो फिर देखिये रघुवर दास को, ये स्वयं को हनुमान भी बना डालेंगे, पर शायद रघुवर दास को पता नहीं कि हनुमान ने सीता के सम्मान की रक्षा के लिए रावण की नाक में दम कर दिया था, पर त्रेता के हनुमान और कलियुग के इस हनुमान में आकाश और जमीन का अंतर तो दिखेगा ही।
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